कर त्रिशूल सोहत छवि भारी। करत सदा शत्रुन क्षयकारी॥ पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥ नित्त नेम कर प्रातः ही, पाठ करौं चालीसा। काशी में विराजे विश्वनाथ, नंदी ब्रह्मचारी । शिव के रहते कैसी चिंता, साथ रहे प्रभु आठों याम अंत में काम, क्रोध मद हारे, हे https://jaibhole.co.in/home/Shree-Shiv-Chalisa
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